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मोदी– शी के बीच अफगानिस्‍तान को मदद देने पर बनी सहमति, पाकिस्‍तान को लगी मिर्ची

वुहान (चीन)। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग सीमा विवाद को लेकर डोकलाम जैसे सैन्य गतिरोध की स्थिति पैदा होने से रोकने के लिए अपनी-अपनी सेनाओं को रणनीतिक दिशानिर्देश
जारी करेंगे।

मोदी और शी के बीच चीन के वुहान शहर में शनिवार को संपन्न हुई अनौपचारिक वार्ता के दौरान भारत और चीन ने अफगानिस्तान में एक संयुक्त आर्थिक परियोजना पर काम करने को लेकर सहमति जताई। इस कदम से बीजिंग के हमेशा के सहयोगी और नई दिल्ली के धुर विरोधी पाकिस्तान परेशान हो सकता है।

दोनों देशों के प्रमुखों के बीच कई दौर की बैठकों में आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन व अन्य अंतर्राष्ट्रीय मुद्दे छाए रहे, जिनपर दोनों नेताओं का एक समान नजरिया था।

भारत के विदेश सचिव विजय गोखले ने मीडिया से बातचीत में कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने रणनीतिक व दीर्घकालिक परिप्रेक्ष्य में भारत-चीन संबंधों की प्रगति की समीक्षा की।”

उन्होंने बताया, “वे इस बात को लेकर सहमत थे कि दोनों देश एक-दूसरे की संवेदनशीलताओं, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए शांतिपूर्ण बातचीत के माध्यम से आपसी मतभेदों को दूर करने में सक्षम हैं।”

गोखले ने बताया कि मोदी और शी का मानना है कि दोनों देशों की ओर से सीमा वार्ता को लेकर विशेष प्रतिनिधियों को उचित, तर्कसंगत और आपस में स्वीकार्य समाधान तलाशने के लिए अपने प्रयास तेज करने होंगे।

उन्होंने कहा कि दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए भारत-चीन सीमा क्षेत्र में अमन व शांति बनाए रखने की अहमियत पर बल दिया।

भारत के विदेश सचिव ने कहा, “इसके लिए उन्होंने अपनी-अपनी सेना को सीमा मामलों के प्रबंधन में आपसी विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों को अमल में लाने की दिशा में भरोसा व तालमेल बनाने के लिए एक-दूसरे से संवाद बढ़ाने का रणनीतिक निर्देश जारी किया।”

उन्होंने बताया, “दोनों नेताओं ने अपनी-अपनी सेना को दोनों पक्षों के बीच सहमति के आधार पर विश्वास बहाली के विभिन्न उपायों को शीघ्र अमल में लाने का निर्देश दिया। दोनों पक्षों के बीच सीमा क्षेत्रों की घटनाओं को रोकने के लिए आपसी व समान सुरक्षा के सिद्धांत को अमल में लाने, मौजूद संस्थागत व्यवस्था को मजबूती प्रदान करने और सूचना साझा करने के तंत्र को लेकर सहमति बनी।”

भारत और चीन के बीच काफी समय से सीमा विवाद एक गंभीर मुद्दा रहा है, जिसे लेकर 1962 में दोनों देशों में युद्ध भी हुआ और आपस में अविश्वास बना रहा है।

पिछले साल 2017 में भारत-चीन सीमा क्षेत्र में सिक्किम के डोकलाम में दोनों देशों की सेनाओं के बीच 73 दिनों तक गतिरोध बना रहा है। अगस्त में बातचीत के बाद गतिरोध दूर हुआ था।

इस बीच भारत-चीन शिखर वार्ता के दौरान एक बड़ा फैसला अफगानिस्तान में भारत-चीन आर्थिक परियोजना को लेकर हुआ है, जिसपर दोनों देशों ने काम करने पर सहमति जताई है।

हालांकि सूत्रों ने परियोजना के बारे में विस्तृत विवरण नहीं दिया, मगर इस कदम से पाकिस्तान की परेशानी बढ़ सकती है, क्योंकि दक्षिण एशिया के संकटग्रस्त देशों में भारत की मौजूदगी उसे अच्छा नहीं लगता है।

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच रूखा संबंध रहा है और चीन उनके बीच अमन स्थापित करने में बिचौलिए की भूमिका निभाना चाहता है।

गोखले ने बताया कि द्विपक्षीय व्यापार और निवेश बातचीत का अहम हिस्सा रहा। उन्होंने कहा, “दोनों नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि व्यापार संतुलित व दीर्घकालिक होना चाहिए। हमें दोनों अर्थव्यवस्थाओं की पूरकता का लाभ उठाकर अपने व्यापार और निवेश को बढ़ाना चाहिए।”

उन्होंने बताया, “इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने भी व्यापार को संतुलित करने की अहमियत का जिक्र किया और कहा कि चीन को कृषि जनित उत्पादों व औषधियों का निर्यात किया जा सकता है।”

दो दिवसीय शिखर बैठक के दौरान मोदी और शी के बीच छह दौर की वार्ता हुई और उन्होंने कई मसलों पर बातचीत की।  गोखले ने कहा, “प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति शी ने माना कि आतंकवाद से उन्हें एक समान खतरे हैं और दोनों ने एक बार फिर इसकी कड़ी निंदा की। उन्होंने आतंकवाद से मुकाबला करने के मसले पर सहयोग को लेकर अपनी प्रतिबद्धता जाहिर की।” मोदी अपराह्न् 1.30 बजे वुहान से वापस भारत के लिए रवाना हुए।

 

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