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उत्तराखंड सरकार ने पिरूल नीति को दिखाई हरी झंडी, संविदा कर्मियों की बल्ले बल्ले

उत्तराखंड में चीड़ के पत्ते से बिजली बनाने की नीति हुई मंज़ूर

उत्तराखंड में काफी समय से लटकी पिरुल (चीड़ के पत्ते) से बिजली बनाने की नीति को उत्तराखंड सरकार ने मंजूरी दे दी है। इसके अलावा संविदा कर्मचारियों के मानदेय बढ़ोतरी का फैसला भी शुक्रवार को कैबिनेट ने लिया है। इन दो अहम फैसलों के साथ ही उत्तराखंड की कैबिनेट मीटिंग में 12 बिंदुओं पर फैसले लिए गए हैं।

उत्तराखंड में 40,000 हेक्टेयर भूमि पर अकेले चीड़ के जंगल हैं। मार्च से लेकर जून तक चीड़ के पेड़ से उसकी नुकीली गुच्छेदार पत्तियां (पिरुल) गिरती हैं। भारतीय वन संस्थान के अध्ययन के अनुसार एक हेक्टेयर क्षेत्रफल में फैले चीड़ के जंगल से साल भर में छह टन तक पिरुल गिरता है।

प्रदेश सरकार ने संविदा के ज़रिए सरकारी कार्यालयों में कार्यरत संविदा कर्मियों का वेतन 1500 रुपए बढ़ा दिया गया है। पीआरडी के कर्मचारियों की दिहाड़ी 50 रुपए प्रतिदिन बढ़ी है। राज्य में पिरूल से 150 मेगावाट बिजली पैदा करने की संभावना जताई गई है। वर्ष 2019 तक एक मेगावाट बिजली बनाने, वर्ष 2030 तक 100 मेगावाट बिजली बनाने का लक्ष्य रखा गया है। जनता पिरूल से बिजली बनाएगी और सरकार खरीदेगी।

उत्तराखंड में पिरूल से 150 मेगावाट बिजली पैदा करने की संभावना जताई गई है।

इसके साथ ही उत्तराखंड सरकार ने वित्त विकास निगम कर्मियों को सातवें वेतन मान के हिसाब से वेतन देने का फैसला भी लिया है। इसके अलावा पर प्रदेश के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों को वैट की तर्ज पर जीएसटी की छूट भी मिलेगी।

 कैबिनेट बैठक में इन मुद्दों पर बनी सहमति

पीआरडी कर्मचारियों का प्रतिदिन 50 रुपये बढ़ाने का लिया गया फैसला।
उत्तराखंड बहुउद्देशीय विकास निगम को सातवें वेतनमान की मंजूरी।
हरिद्वार स्थित अलकनंदा होटल परिसर में 2900 वर्ग मीटर हिस्सा उत्तरप्रदेश को देने पर सहमति।विधानसभा के बजट सत्र के सत्रावसान के लिए कैबिनेट की संस्तुति।
संविदा कर्मचारियों के वेतन वृद्धि पर कैबिनेट की मुहर।
हर वर्ग के कर्मचारी को 1500 रुपए का मिलेगा अतिरिक्त लाभ।
केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों के 3 पुराने आवासों को पूर्ण रूप से ध्वस्त किया जाएगा।
जिंदल ग्रुप बनाएगा नए भवन, डीएम देंगे जगह।
राज्य में पिरूल नीति को मंजूरी।
पिरूल से बिजली बनाने की योजना। प्रतिवर्ष 150 मेगावाट तक बिजली हो सकेगी उत्पादित।
एक मेगावाट तक कि परियोजना ग्रामीण लगा सकते हैं। इसमें जिला मजिस्ट्रेट से अनुमति लेनी होगी।
सहकारिता सहभागिता योजना को कैबिनेट ने किया समाप्त।
सूक्ष्म , लघु और मध्यम उद्योगों में वैट की जगह SGST एसजीएसटी के रूप में मिलेगी सब्सिडी।
12 फीट 3.75 मीटर से ऊपर की सड़कें पीडब्लूडी बनाएगा , उससे नीचे की सड़क संबंधित बोर्ड बनाएगा।

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