ई-वे बिल का कार्यान्वयन संतोषप्रद
नई दिल्ली, 23 अप्रैल (आईएएनएस)| अंतर्राज्यीय माल ढुलाई एक अप्रैल से लागू ई-वे बिल को लेकर आरंभ में जो आशंका जताई जा रही थी वह अब दूर होती नजर आ रही है और इसका श्रेय सरकार की ओर से की गई चाक-चौबंद व्यवस्था को जाता है।
ई-वे बिल पोर्टल की रोजाना करीब 75 लाख अंतर्राज्यीय बिल का संचालन करने की क्षमता है। हालांकि शुरुआत में इसमें दो घंटे का डाउनटाइम होने से कारोबार में थोड़ी दिक्कत जरूर आई। मगर, कुल मिलाकर कार्यान्वयन सफल रहा।
कर्नाटक अंतर्राज्यीय परिवहन में ई-वे बिल सिस्टम शुरू करने वाला देश का पहला राज्य बना।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले दो हफ्तों में ई-वे बिल पोर्टल पर 1.22 करोड़ से अधिक ई-वे बिल जनरेट किया जा चुका है और 543 वेरिफिकेशन रिपोर्ट को टैक्स अधिकारियों द्वारा अपलोड किया जा चुका है।
इस प्रकार, हर दिन जनरेट किए गए ई-वे बिलों की औसत संख्या सात लाख के आसपास होगी, जो यह दर्शाती है कि सरकार ने वाकई में सुचारु तरीके से कार्य संपादन करने के लिए पूरी तैयारी की थी। साथ ही, ई-वे बिल को चरणबद्ध तरीके से लागू करना सरकार की ओर से उठाया गया एक सराहनीय कदम है।
रविवार, 15 अप्रैल को पांच राज्यों-गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और केरल में ई-वे बिलों को सामानों की आवाजाही के लिए अनिवार्य किया गया।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 9 राज्यों ने अभी तक 82 प्रतिशत ई-बिल जनरेट किए हैं जिसमें गुजरात अंतर्राज्यीय ई-वे बिल जनरेशन में सबसे प्रमुख राज्य बना हुआ है। इसके बाद कर्नाटक और महाराष्ट्र का स्थान आता है। ई-वे बिल का सबसे हालिया चरण शुक्रवार, 20 अप्रैल को शुरू हुआ जिसमें अंतर्राज्यीय ई-वे बिल 6 और राज्य – बिहार, हरियाणा, झारखंड, मध्य प्रदेश, त्रिपुरा और उत्तराखंड शामिल हो गए। अभी तक की प्रगति को देखते हुए, 1 जून तक देशव्यापी क्रियान्वयन करने का जीएसटी परिषद का लक्ष्य पूरा होने में कोई संशय नहीं दिख रहा है।
ई-वे बिल की जांच करने के लिए राज्य सीमाओं पर जांच दल तैनात किए गए हैं जो कर चोरी रोकने के लिए तत्पर हैं। उदाहरण के लिए, मध्य प्रदेश में लगभग 80 टीमों को विभाग द्वारा वाहनों की मोबाइल चेकिंग करने के लिए नियुक्त किया गया है।
अप्रैल के पहले पखवाड़े में ही 100 वाहनों को ई-वे बिल के नियमों का उल्लंघन करने के मामले में धरा गया। फर्जी बिलों के साथ अथवा पंजीकरण के बगैर सामान ले जा रहे वाहनों को रोका जा रहा है।
टैली में, हम अपने ग्राहकों को जीएसटी-रेडी टैली.ईआरपी 9 रिलीज 6.4 की पेशकश कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इससे ई-वे बिल अनुपालन की दक्षतापूर्वक देखरेख करने में मदद मिलती है। तकनीक और सरकार की पहलों की मदद से हमें व्यापार एवं उद्योग की प्रक्रियाओं को सुचारु बनाने पर पूरा भरोसा है, इस तरह कारोबारी और ट्रांसपोर्टर दोनों की जिंदगी आसान बनाई जा सकती है।
(तेजस गोयनका टैली सॉल्यूशंस के कार्यकारी निदेशक हैं और आलेख में उनका निजी विचार है।)