पेट्रो पदार्थो की कीमतें तोड़ रहीं कमर
पेट्रोल-डीजल की कीमतें अबतक के सबसे उच्च स्तर पर पहुंच गई हैं। बढ़ी कीमतों ने चारों ओर हाहाकार मचा दिया है। पेट्रो की कीमतें रोज नए रिकॉर्ड बना रही हैं।
देश की राजधानी दिल्ली में इस समय पेट्रोल 74 रुपये 8 पैसे प्रति लीटर बिक रहा है, जो सितंबर 2014 के बाद से सबसे ज्यादा है। वहीं डीजल का भाव 65 रुपये 31 पैसे है, जो अब तक के इतिहास में इतना महंगा कभी नहीं हुआ।
बढ़ी कीमतों ने सबसे ज्यादा असर किसानों पर डाला है। फसलों की सिचाई में महंगाई ने खलल डाल दिया है। कीमतों को बढ़ाने का नायाब तरीका डेढ़ साल पहले शुरू किया गया था। दरअसल, उस वक्त भाव बढ़ाने की तरकीब को न जनता भाप पाई और न ही तेल वितरण कंपनियां।
पेट्रो पदार्थों के दाम रोजाना लागू करने से सरकार को तो खूब फायदा हो रहा है, मगर डायनामिक प्राइसिंग सिस्टम योजना की आड़ में उपभोक्ताओं की जेब काटनी शुरू हो गई है।
योजना को लागू हुए करीब डेढ़ साल हो गया। इसी बीच पेट्रोल-डीजल में तकरीबन रोजाना बढ़ोतरी की जा रही है। नियम लागू से अभी तक पेट्रोल-डीजलों के दाम लगातर बढ़ रहे हैं। खास बात यह है कि इसमें ज्यादातर कीमतें कम नहीं हुई, बल्कि बढ़ी हैं। चुपके-चुपके कीमतें बढ़ाई जा रही है। सिलसिला अगर यूं ही जारी रहा तो दिसंबर तक पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर की दर को भी पार कर जाएगा। कीमतों में बढ़ोतरी के मुद्दे ने अभी तूल नहीं पकड़ा है, इसलिए मामला शांत है।
पेट्रोलियम उत्पादों के रोजाना मूल्य निर्धारण की व्यवस्था का केंद्र सरकार को प्रत्यक्ष फायदा यह हो रहा है कि दाम भी लगातर बढ़ रहे हैं और हो-हल्ला भी नहीं हो रहा है। पिछले दो माह के भीतर ही पेट्रोल की कीमत में 11 रुपये प्रति लीटर का इजाफा हुआ है, जो इस समय पेट्रोल की कीमत पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर जा पहुंची है।
पेट्रोल-डीजल के खुदरा बिक्री मूल्य यानी आरएसपी के रोजाना मूल्य की इस नई तरकीब का फायदा सरकार को प्रत्येक्ष रूप से हो रहा है।
तेल कंपनियां भी परेशान हैं। उनको भी कुछ समझ नहीं आ रहा। पिछले साल 16 जून से कीमतें घटने की वजय लगातार बढ़ रही हैं। बढ़ी कीमतों की खबरे मीडिया भी नहीं आ पा रही हैं।
गौरतलब है कि 16 जून से केंद्र ने पेट्रोलियम उत्पाद पर डायनामिक प्राइजिंग सिस्टम लागू करने की योजना को मंजूरी दी थी। योजना की शुरुआत में बताया गया था कि इससे विदेशी बाजार के हिसाब से ही भारत में कीमतें निर्धारित की जाएंगी। पर, वैसा कुछ नहीं किया गया।
दरअसल, पेट्रोल-डीजल के मूल्य में महज कुछ पैसे की बढ़ोतरी होने पर जनता व विपक्षी पार्टियां हंगामा काटने लगती थीं, अब जनता भले ही मन ही मन कुढ़ रही हो, लेकिन विपक्षी पार्टियों को भनक तक नहीं हो रही है।
महज दो महीने पहले डीजल की कीमतों में 5.67 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी कर दी गई है। नई कीमतों के तहत इस समय दिल्ली में डीजल 65.31 रुपये प्रति लीटर है, वहीं पेट्रोल 74.08 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गया है।
तेल विपणन कंपनियां यानी ओएमसी की मानें तो कुछ समय से अंतर्राष्ट्रीय बाजार में तेलों की कीमतों पर नियंत्रण होने के बावजूद भारत में लगातार कीमतें बढ़ाई जा रही हैं। इसको लेकर विपणन कंपनियां सरकार को शिकायतें भी कर रही हैं, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो पा रही है। इस क्षेत्र से जुड़े कई एक्सपर्ट भी हैरान-परेशान हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत गिरने के बावजूद केंद्र सरकार ने पेट्रोलियम उत्पादों पर उत्पादन शुल्क और अन्य करों को इतना क्यों बढ़ा दिया है।
बढ़ी कीमतों की मार सिर्फ आम जनता पर पड़ रही है। बड़ी खामोशी के साथ कट रही है लोगों की जेब। जब इस योजना को लागू करने की बात कही जा रही थी, उस दौरान वादा किया गया था कि इसका फायदा सीधे जनता को होगा। लेकिन वह सिर्फ छलावा मात्र था।
पेट्रोल पंप वालों को हर रोज सुबह 6 बजे नए दाम लागू करने होते हैं। कुछ पंप मालिक कहते हैं कि उन्हें नए दामों की खबरें किसी और को न देने की हिदायत दी जाती है। अजीब सा माहौल उत्पन्न हो गया है।
डायनामिक प्राइसिंग के बहाने जो लूट मचाई गई है, उससे पेट्रोल-डीजल डीलर भी खासे नाराज हैं। उन्होंने शुरुआत में भी इस योजना का जमकर विरोध किया था, लेकिन उनकी बात किसी ने नहीं सुनी। डीलर इस योजना को जनविरोधी के साथ-साथ असुविधाजनक भी कह रहे हैं, क्योंकि रोजाना के घटते-बढ़ते दाम उनके लिए कई तरह की परेशानी पैदा कर रहे हैं।
उधर, जनता महंगाई से हलकान है, उनकी परवाह कोई नहीं कर रहा। पहले विपक्षी पार्टियां इस मुद्दे पर शोर मचाती थीं, तो दिल को थोड़ी तसल्ली मिल जाती थी, मगर अब शायद उन्हें भी यह कोई बड़ा मुद्दा नहीं लगता। जनता को बड़ी उम्मीद थी कि नई योजना से तेलों की कीमतों में कमी आएगी, लेकिन हुआ उल्टा। जनता खुद को ठगी हुई महसूस कर रही है।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें लगातार बढ़ रही हैं और एक सवाल सबके जेहन में उठ रहा है कि इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का दाम लगातार गिर रहा है, फिर भी उसका फायदा आम लोगों को क्यों नहीं मिल पा रहा है?
दरअसल, सरकार ने कच्चे तेल के दाम में गिरावट के हिसाब से तेल कंपनियों को पेट्रोल और डीजल के दाम कम करने का मौका नहीं दिया है। सरकार ने अपना खजाना भरने के लिए एक्साइज ड्यूटी में लगातार बढ़ोतरी करती जा रही है। इसमें दो राय नहीं कि कच्चे तेल की कीमत में कमी का जो लाभ आम आदमी को मिलना चाहिए, वह सरकार ने उनको नहीं दिया है।
मौजूदा सरकार ने सबसे पहले जब कच्चे तेल पर एक्साइज ड्यूटी बढ़ाई थी, तब कच्चे तेल की कीमत 79 डॉलर प्रति बैरल थी, आज की तारीख में भारतीय बास्केट में कच्चे तेल की कीमत करीब 32 डॉलर प्रति बैरल है। जब केंद्र एक्साइज ड्यूटी बढ़ाता है तो तब राज्य सरकार की ओर से लगे लोकल टैक्स भी बढ़ा दिए जाते हैं। यही कारण है कि आम आदमी पर दोहरी मार पड़ती है। (आईएएनएस/आईपीएन)
(ये लेखक के निजी विचार हैं)