चित्रकूट पुलिस ने दिखाया ‘मानवीय’ चेहरा
मानिकपुर (चित्रकूट), 22 अप्रैल (आईएएनएस)| अब तक आपने उत्तर प्रदेश पुलिस का ‘क्रूर’ चेहरा ही देखा होगा, लेकिन चित्रकूट में पुलिस का ‘मानवीय’ चेहरा भी सामने आया है।
आर्थिक तंगी के चलते एक बेटी की पढ़ाई बंद हो गई, तो वह शनिवार को मानिकपुर थाने के ‘समाधान दिवस’ कार्यक्रम में पहुंच गई। वहां उसने अपनी दास्तान सुनाई तो वहां मौजूद अपर पुलिस अधीक्षक ने दरियादिली दिखाते हुए उसकी आगे की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ले ली।
चित्रकूट जिले के मानिकपुर थाने में शनिवार को पुलिस समाधान दिवस में आए लोगों की समस्या का निस्तारण करने में मशगूल थी, इसी बीच सकरौंहा गांव की एक बेटी पहुंची। उसने अपने पिता की गरीबी के चलते आगे की पढ़ाई न कर पाने का दुखड़ा रोया। उसकी समस्या सुन कुछ देर के लिए थाने में सन्नाटा छा गया।
वहां मौजूद अपर पुलिस अधीक्षक बलवंत चौधरी ने मगर दरियादिली दिखाई और उसके आगे की पढ़ाई का खर्च उठाने की जिम्मेदारी ले ली। इतना ही नहीं, थानाध्यक्ष के.पी. दुबे ने उसे बाजार से नए कपड़े भी खरीद कर दिए। यह है न पुलिस का ‘मानवीय’ चेहरा?
सकरौंहा गांव के रामदीन कुशवाह मामूली खेतिहर किसान हैं। उन्होंने अपनी बेटी कोमल को इंटरमीडिएट तक पढ़ाया, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते आगे की पढ़ाई नहीं करा सके। इतना ही नहीं, वे अपनी बेटी के लिए दो साल से एक जोड़ी कपड़ा भी नहीं खरीद सके हैं। कोमल पढ़-लिख कर कुछ बनना चाहती है, लेकिन वह मजबूर थी। जब कुछ समझ में नहीं आया तो वह पुलिस के समाधान दिवस में पहुंच गई, जहां उसकी समस्या का समाधान हो गया।
पुलिस के मानवीय दृष्टिकोण और बेटी की पढ़ने की ललक से रामदीन बेहद खुश हैं। वे कहते हैं कि पुलिस ने बेटी को पढ़ाया तो वे उसे पुलिस में ही भर्ती कराना चाहेंगे, ताकि वह बहन-बेटियों के साथ हो रहे अन्याय, अत्याचार को रोक सके।
कोमल से जब पूछा गया तो उसने ‘बेटी पढ़ाओ, बेटी बचाओ’ का नारा ही बदल दिया और नया नारा दिया- ‘बेटी पढ़ाओ, दुष्कर्मी भगाओ’। उसने कहा कि वह आईएएस या आईपीएस अधिकारी बनना चाहेगी और दुष्कर्मियों से बड़ी सख्ती से निपटेगी।
अपर पुलिस अधीक्षक बलवंत चौधरी ने रविवार को कहा, बेटी कोमल का परिवार बेहद गरीब है और उसमें पढ़-लिख कर कुछ बनने की तमन्ना है। अब वह पुलिस विभाग की बेटी है और हमारा विभाग उसकी आगे की पढ़ाई का पूरा खर्च उठाएगा।