भारतीय टेबल टेनिस के लिए नई शुरुआत हो सकती है गोल्ड कोस्ट की सफलता
नई दिल्ली, 21 अप्रैल, (आईएएनएस)| गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों में भारत ने शानदार सफलता हासिल की। देश ने 26 स्वर्ण सहित 66 पदकों पर कब्जा जमाया, लेकिन इन खेलों में भारत को सबसे बड़ी सफलता टेबल टेनिस में मिली जो भारत के लिए एक तरह से अप्रत्याशित थी।
भारत की महिला एवं पुरूष टीमों ने इतिहास रचते हुए देश को पहली बार स्वर्ण पदक दिलाया। महिला टीम ने फाइनल में सिंगापुर जैसे मजबूत देश और उसके मजबूत खिलाड़ियों को 3-1 से मात दी थी। वहीं पुरुष टीम ने फाइनल में नाइजीरिया को पछाड़ा।
वहीं मनिका बत्रा ने महिला एकल वर्ग में इन खेलों में भारत को पहली बार स्वर्ण पदक दिलाया। टेबल टेनिस भारत में ज्यादा लोकप्रिय खेल नहीं है और इसी कारण इन खेलों में भारतीय खेमे का यह प्रदर्शन बदलाव की हवा ला सकता है।
इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने इस खेल को नई पहचान देने का काम किया है। इस ऐतिहासिक जीत का हिस्सा रहे कई खिलाड़ियों का भी मानना है कि इस प्रदर्शन से भारत में टेबल टेनिस में बदलाव आएगा और युवा इसे करियार के तौर पर लेंगे। साथ ही खेल की लोकप्रियता भी बढ़ेगी।
भारत की स्वर्ण विजेता महिला टीम का हिस्सा रहीं मधुरिका पाटकर को लगता है कि इस प्रदर्शन के बाद युवा इस खेल को करियर के तौर पर लेंगे।
मधुरिका ने भारत लौटने के बाद आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा, आठ स्वर्ण पदक जीतना एक बहुत बड़ी उपलब्धि है। पिछले दो साल से सरकार और टीटीएफआई ने हमारी काफी मदद की है, लेकिन अभी भी हमें और ज्यादा फंड की जरूरत है ताकि हमें और ज्यादा एक्सपोजर मिल सके। इस प्रदर्शन के बाद से कई लोग टेबल टेनिस को करियर के तौर पर लेना शुरू करेंगे।
वहीं स्वर्ण पदक जीतने वाली पुरुष टीम का हिस्सा रहे शरथ को भी पूरा भरोसा है कि इस सफलता के बाद टेबल टेनिस नए मुकाम छूएगा।
उन्होंने कहा, मुझे उम्मीद है कि इस प्रदर्शन से बदलाव आएगा। हमें खेल में सुधार करने और इसे आगे ले जाने के लिए इस तरह के प्रदर्शन की जरूरत थी। एक दशक पहले बैडमिंटन भी इसी स्थिति में था जिस स्थिति में हम आज हैं। हमें यहां से इसे ओलम्पिक के स्थर तक ले जाना होगा, ताकि यह खेल और मशहूर हो सके।
इस सफलता का कारण पूछने पर शरथ ने कहा, इसका मुख्य कारण रणनीति है। पिछले तीन-चार साल से हम सभी यूरोप में थे और हम क्लब में खेल रहे थे अभ्यास कर रहे थे। मुझे लगता है कि इसी कारण हमारी विश्व रैंकिंग सुधरी है। हमारे छह खिलाड़ी शीर्ष-100 में हैं। इसके अलावा साई और टीटीएफआई ने काफी सहयोग किया है और हमें अच्छे मौके मुहैया कराए हैं।
शरथ और मधुरिका दोनों को लगता है कि घरेलू सर्किट में टीटीएफआई के सक्रिया रहना भी इस सफलता का कारण है।
शरथ ने कहा, टीटीएफआई दुनिया की सबसे सक्रिय महासंघों में से एक है। हम एक साल में छह टूनार्मेंट खेलते हैं राष्ट्रीय चैम्पियनशिप खेलते हैं और स्कूल नेशनल्स भी होते है। टीटीएफआई काफी शानदार काम कर रही है और खेल के स्थर को आगे ले जाने की काफी कोशिश कर रही है।
मधुरिका भी शरथ की बात से इत्तेफाक रखती हैं और मानती हैं कि घरेलू स्तर पर ज्यादा से ज्यादा टूनार्मेंट का आयोजन भारत की इस सफलता के कारणों में से एक एक।
मधुरिका ने कहा, घरेलू स्तर पर काफी टूनार्मेंट होते है। टीटीएफआई बाकी देशों की अपेक्षा घरेलू स्तर पर कई टूनार्मेंट आयोजित कराती है। यही कारण है कि हम धीर-घीरे आगे बढ़ रहे हैं।
देश की सबसे अनुभवी महिला टेनिस खिलाड़ी मौमा दास ने कहा कि इस जीत के बाद से जो माहौल बना है वो बताता है कि अब टेबल टेनिस आगे बढ़ेगा और भारत में इसका भविष्य अच्छा है।
मौमा ने कहा, निश्चित ही। इस जीत के बाद लग रहा है कि बदलाव आएगा क्योंकि जीत के बाद हमारे पास भी काफी फोन और संदेश आ रहे थे। टीवी पर भी सिर्फ हमें दिखाया जा रहा था। यह हमारे लिए भी बड़ी बात है। भारत में भी जिस तरह से हमारा स्वागत किया गया वो अविश्वसनीय था। इस जीत से खेल का भविष्य भी अच्छा होगा। टेबल टेनिस की लोकप्रियता काफी बढ़ गई है।
मौमा ने कहा, आने वाली पीढ़ी के लिए यह जीत काफी अहम है। टेबल टेनिस में प्रो टूर काफी खेलने होते हैं ताकि रैंकिगं आगे ले जाई सा सके। इस जीत के बाद उन टूर के लिए सरकार से जो मदद मिलती है उसमें भी अब आसानी रहेगी क्योंकि प्रदर्शन ही ऐसा है। अब खेल में कोई दिक्कत नहीं होगी। सभी हमारा समर्थन कर रहे हैं।
अभी तक अनजान सा पड़ा यह खेल अपनी नई पहचान के लिए लड़ रहा था। उम्मीद है कि इस जीत से बदलाव होगा और भारत में टेबल टेनिस के शीर्ष देशों में अपनी जगह बना पाएगा, लेकिन किसी भी हाला में राह आसान नहीं है।