IANS

नवजात शिशुओं में लीवर रोग की पहचान के लिए जागरूकता अभियान

नई दिल्ली, 19 अप्रैल (आईएएनएस)| नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों को आमतौर पर प्रभावित करने वाली लीवर की बीमारी को लेकर आम लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए अपोलो अस्पताल ने वर्ल्ड लीवर डे के मौके पर जागरूकता अभियान चलाया।

अपोलो हॉस्पिटल्स ग्रुप में मेडिकल डायरेक्टर व सीनियर कन्सलटेन्ट डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, दिमाग के बाद लीवर शरीर का दूसरा सबसे बड़ा ठोस अंग है, जो बहुत सारे मुश्किल काम करता है। लीवर हमारे शरीर में ऐसे सभी कामों को अंजाम देता है, जो अन्य अंगों के ठीक कार्य करने के लिए जरूरी हैं।

उन्होंने कहा, लीवर पाचन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भोजन पचाने के लिए बाईल बनाने के अलावा लीवर ब्लड शुगर को नियन्त्रित रखने में मदद करता है, शरीर से विषैले पदार्थों को बाहर निकालता है और कॉलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य बनाए रखता है। लीवर क्लॉटिंग फैक्टर्स, एल्बुमिन और ऐसे कई महत्वपूर्ण उत्पाद बनाता है।

डॉ. अनुपम सिब्बल ने कहा, लीवर बिना रुके काम करता है और अक्सर इसमें किसी भी तरह की खराबी के लक्षण जल्दी से दिखाई नहीं देते। लीवर रोगों के आम लक्षण हैं आंखों का पीला पड़ना, पेशाब का रंग पीला होना, भूख न लगना, मतली और उल्टी। 100 से ज्यादा ऐसी बीमारियां हैं जिनका असर लीवर पर पड़ता है।

उन्होंने कहा, अगर आपको पेट के आस-पास सूजन, पैरों में सूजन, वजन में कमी जैसे लक्षण दिखाई देते हैं तो तुरंत डॉक्टर की सलाह लें।

डॉ. अनुपम सिब्बल ने लीवर की बीमारियों से बचने और इसके प्रबन्धन के लिए सुझाव दिए। इसमें हर बच्चे को जन्म के तुरंत बाद हेपेटाइटिस बी का टीका लगाना, रक्त और रक्त उत्पादों का इस्तेमाल करने से पहले हेपेटाइटिस बी और सी की जांच, साफ पेयजल का ही सेवन करना, कच्चे फलों और सब्जियों को सेवन से पहले अच्छी तरह धोना, जब भी संभव हो हेपेटाइटिस ए का टीका लगवाना, नवजात शिशु को अगर दो सप्ताह से ज्यादा पीलिया रहता है तो इसकी जांच करवाना चाहिए ताकि अगर लीवर की कोई बीमारी है तो इसका निदान कर तुरंत इलाज किया जा सके।

हाल ही में हेपेटाइटिस बी, सी और कई अन्य आनुवंशिक बीमारियों का इलाज खोज लिया गया है और यह सभी आधुनिक इलाज भारत में उपलब्ध हैं। भारत में लीवर ट्रांसप्लान्ट अब कामयाबी से किया जा रहा है।

Show More

Related Articles

Back to top button
Close
Close