पहाड़ों के मेलों को मिलेगी राजकीय पहचान, खुलेंगे रोजगार के अवसर
उत्तराखंड के स्थानीय स्वाद को चख पाएंगे दूसरे प्रदेशों के लोग
उत्तरकाशी के जखोल गांव में बड़ी धूमधाम से सोमेश्वर महादेव के मेले (बिस्सू) का आयोजन किया गया। उत्तराखंड में वैशाख माह में बिस्सु महोत्सव के रूप में मनाए जाने वाले इस महोत्सव में स्थानीय लोगों द्वारा परियों का आवाहन कर अपने क्षेत्र में खुशी और शांति बनाए रखने के लिए ईश्वर से प्रार्थना की गई।
उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मोरी ब्लॉक के जखोल गाँव में जैसे पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज मेले में शामिल होने आएं, लोगों की भारी भीड़ ने उन्हें घेर लिया। लोगों को संबोधित करते हुए सतपाल महाराज ने कहा , ” बिस्सु मेले को संस्कृति विभाग के मेलों की सूची में शामिल करने पर विभाग विचार कर रहा है। इतना ही नहीं जखोल देवक्यार बुग्याल भी इस साल ट्रेक अॉफ ईयर में शामिल किया जाएगा।”
उत्तराखंड में पर्यटन और संस्कृति को बढ़ाने के लिए इस समय 13 जिलों में 13 टूरिस्ट डेस्टिनेशन बनाने की योजना चलाई जा रही है। इस योजना का मुख्य उद्देश्य पहाड़ी गांवों में रह रहे लोगों के नए रोजगार के अवसर पैदा करना है। ऐसे में उत्तरकाशी के बिस्सु मेले को इसी क्रम में शामिल किए जाने से जखोल गांव सहित जिले के सैकड़ों गांवों में रहने वाली आबादी को रोजगार के नए मौके मिल सकते हैं।
युवाओं को रोजगार ने नए अवसर देने की बात कहते हुए पर्यटन मंत्री ने आगे कहा,” उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए इस क्षेत्र में एडवेंचर स्पोर्टस और ट्रेकिंग का स्थानीय युवाओं को प्रशीक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए विभाग की दीनदयाल उपाध्याय योजना और वीरचंद्र सिंह गढ़वाली योजना के अंतर्गत 25 लाख तक का ऋण दिया जा रहा है।”
स्थानीय पकवानों को मिलेगी पहचान –
पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा है कि प्रदेश में बनाए जा रहे धार्मिक सर्किट में अब स्थानीय पकवानों का भी प्रचार-प्रसार किया जाएगा। इसमें चैसा, कंडाली की सब्जी, मंडवे की रोटी और चावल से बनाए जाने वाले कई पकवानों को शामिल किया जा सकता है। इससे प्रदेश में आने वाले बाहरी लोग भी स्थानीय पकवानों का स्वाद ले पाएंगे।