एशियाई खेलों में 3 पदक जीतने वाला पहला भारतीय मुक्केबाज बनना चाहते हैं विकास कृष्ण
नई दिल्ली, 17 अप्रैल (आईएएनएस)| अपने पहले ही राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण जीतने वाले भारत के मुक्केबाज विकास कृष्णा का अगला लक्ष्य एशियाई खेलों में एक और स्वर्ण पदक जीतना है। उनकी कोशिश एशियाई खेलों में पदक जीत कर इन खेलों में तीन पदक जीतने वाला पहला भारतीय मुक्केबाज बनने की है।
विकास ने हाल ही में आस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में समाप्त हुए 21वें राष्ट्रमंडल खेलों की पुरुषों के 75 किलोग्राम भारवर्ग में कैमरून के दियूदोन विल्फ्रे सेयी को 5-0 से मात देकर स्वर्ण पदक जीता था।
विकास ने भारत लौटने पर आईएएनएस से विशेष बातचीत में कहा कि वह अब एशियाई खेलों में अपने पदक का रंग बदलना चाहते हैं। विकास ने 2014 में इंचायोन में हुए एशियाई खेलों में कांस्य पर कब्जा जमाया था।
विकास ने कहा, आज तक भारत के किसी भी मुक्केबाज ने एशियाई खेलों में तीन पदक नहीं लिए तो मेरी कोशिश यही रहेगी कि मैं इस उपलब्धि का हासिल करूं और एक नया रिकार्ड भी अपने नाम करूं।
विकास ने 2010 में एशियाई खेलों में स्वर्ण जीता था और फिर 2014 में कांस्य जीता था।
राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने के बाद उम्मीदों के दबाव के बारे में विकास ने कहा, सीनियर हैं दबाव भी आता है, लेकिन यह सब खेल का हिस्सा है। सभी चीजें आपके ऊपर रहती हैं। कभी आप दबाव को झेल जाते हो तो अच्छा प्रदर्शन आता है। किसी भी मुक्केबाज को अच्छा प्रदर्शन करने के लिए दबाव झेलाना आना चाहिए।
हरियाणा के भिवानी से आने वाले विकास इस बात से बेहद खुश हैं कि वह राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीत पाए। विकास का कहना है कि उन्होंने तैयारी इस तरह की थी कि पदक के लिए आश्वस्त थे।
बकौल विकास, बहुत अच्छा लग रहा है। इससे पहले खेला नहीं था तो पता नहीं था कि कैसा होता है। कैसे मुक्केबाज आते हैं। जाने से पहले मेरे अंदर आत्मविश्वास था। मैंने पहले भी मीडिया में बोला था कि अगर हम यहां पदक नहीं जीत पाएंगे तो कहीं नहीं जीत पाएंगे।
विकास का कहना है कि उन्होंने जितने मुकाबले खेले उनमें से कोई ज्यादा मुश्किल था, पहला आस्ट्रेलिया का मुक्केबाज था। उसके बाद मैंने तीन ओलम्पियन हराए। मुझे नहीं लगता कि मेरे लिए इन खेलों में कोई मुश्किल मुकाबला रहा। मैंने तैयारी अच्छी की थी और मैं अपने अच्छे प्रदर्शन को लेकर आश्वस्त था। मैंने फेडरेशन के कैम्प में तैयारी की और काफी मेहनत करते हुए गया था।
अपनी विशेषता के बारे में विकास ने कहा, मेरे कुछ निजी काउंटर हैं जो मेरे सामने वाले खिलाड़ी के लिए काफी मुश्किल होते हैं। वो मारता हूं तो मैं मिस नहीं होता। वो कुछ ऐसे हैं कि बाकी के मुक्केबाज नहीं मारते।
एशियाई खेलों में तैयारी के बारे में विकास ने कहा, मैं जिस तरह से तैयार करता आया हूं उस तरह से ही तैयारी करूंगा। जब तक अच्छा प्रदर्शन कर रहा हूं तो कुछ बदलने की जरूरत नहीं है। अगर प्रदर्शन में गिरावट आती है तो फिर हमें बदलाव करने पड़ेंगे।
विकास ने कहा कि वह इस साल के अंत में महासंघ की मदद से पेशेवर मुक्केबाजी में जाने के बारे में सोच रहे हैं। उन्होंने कहा, इस साल के अंत में मैं महासंघ की मदद से पेशेवर मुक्केबाजी में जाने के बारे में सोच रहा हूं।
एशियाई खेलों में तैयारी के बारे में विकास ने कहा, मैंने हमारे मुख्य कोच सैंटियागो से बात की थी। उन्होंने कहा कि कुछ छोट-मोटे बदलाव करने हैं, बाकी कुछ कमी नहीं हैं। तुम किसी भी समय किसी को भी हरा सकते हो। उन्होंने मुझसे एक ही हाथ से ब्लॉक करने और काउंटर करने की तैयारी करने को कहा है। यह काफी मुश्किल होता है। इसके लिए मुझे काफी मेहनत करने की जरूरत है।