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करोड़ों की संपत्ति व तीन साल की बेटी को छोड़ ये कपल बनेगा संत

राजस्थान। दुनिया में तरह तरह के लोग हैं, कोई माया मोह, दुनिया की चकाचौंध में इतना उलझा हुआ है कि उसे सत्यता का ज्ञान ही नहीं है सत्य उसे दिखाई ही नहीं देती, व्यक्ति लगातार अपने सुखों के साधनों को जुटाने में लगा हुआ। पर इसके विपरीत भी कुछ लोग ऐसे हैं जो समाज की इस राजसी ठाटबाट से अलग हट कर संयाशी का जीवन जीना चाहते हैं।

जयपुर के एक विवाहित जोड़े ने ये फैसला लिया है कि वह अपनी तीन साल की बेटी और 100 करोड़ की संपत्ति को त्‍यागकर संत बनेंगे। इनके परिवार के लोगों ने ऐसा न करने कि लिए काफी दिनों तक बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन दोनों ने किसी की एक न सुनी।

राजस्‍थान के चितौडगढ़ भाजपा के पूर्व जिला अध्‍यक्ष अशोक चंडालिया की बेटी और नीमच निवासी समित राठौड़ 23 सि़ंतबर को गुजरात के सूरत में जैन भगवती दीक्षा लेंगे।

यह दीक्षा साधुमार्गी जैन आचार्य रामलाल महाराज के सान्निध्‍य में संपन्‍न होगी। अशोक चंडालिया का कहना है कि उन्‍होंने चार वर्ष पूर्व अपनी बेटी का विवाह समित राठौड़ के साथ किया था। समित मध्‍य प्रदेश के रहने वाले हैं। दोनों बहुत अच्‍छी और संपन्‍न परिवार से हैं।

दोनों ने उच्‍च शिक्षा प्राप्‍त की है और समित लंदन से एक्‍सपोर्ट इंपोर्ट में डिप्‍लोमा करने के बाद वहीं नौकरी करले लगे थे। कुछ सालों बाद वह नीमच लौटे और अपने रिश्‍तेदारों के कहने पर पारिवारिक व्‍यवसाय संभालने लगे।

अनामिका भी पढ़ाई में काफी अच्‍छी रही हैं। वह 10वीं और 12वीं कक्षा में मैरिट में आई और अपनी आगे की पढ़ाई मोदी इंजीनियरिंग कॉलेज से बीए में पूरी की है। इतना ही नहीं उन्‍होंने दस लाख रूपये के पैकेज पर नौकरी भी की है। परन्‍तु उसके बाद उनके घरवालों ने सन् 2012 में विवाह तय कर दिया और उसने नौकरी छोड़ने का फैसला कर लिया।

अनामिका के पिता अशोक चंडालिया बताते हैं कि दोनों के परिजनों ने बहुत समझाया कि वह ऐसा न करें और ऐसा करने से उनकी बेटी के भविष्‍य पर भी बुरा असर पड़ेगा लेकिन वे कहते हैं कि उन्‍होंने आत्‍मकल्‍याण का बोध होने के बाद यह फैसला किया है और अब इसे कोई नहीं बदल सकता है।

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