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बड़ा झटका : इसरो के सपने नहीं भर सके उड़ान, सैटेलाइट प्रक्षेपण विफल

नई दिल्ली। पहली बार प्राइवेट कंपनियों की मदद से अंतरिक्ष की दुनिया में एक और छलांग लगाने की इसरो की कोशिश असफल रही। श्रीहरिकोटा से गुरुवार की शाम सात बजे जिस स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली इंडियन रीजनल नेविगेशनल सैटेलाइट सिस्टम (आईआरएनएसएस यानी नाविक) श्रृंखला का आठवां उपग्रह आईआरएनएसएस-1एच को पीएसएलवी-सी39 से लांच किया गया लेकिन वो सफल नहीं हो पाया।

इसरो चेयरमैन ए एस किरण कुमार ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसकी जानकारी दी। कुमार ने कहा कि लॉन्च असफल रहा। उन्होंने कहा कि प्रक्षेपण के चौथे चरण में हीट शील्ड अलग नहीं हुआ।

देश की जीपीएस क्षमता में वृद्धि कर सकने वाले इस नेविगेशन उपग्रह ‘आईआरएनएसएस-1एच’ को पूरी तरह से बंगलुरु स्थित अल्फा डिजाइन टेक्नोलॉजी ने निर्मित किया था। नाविक श्रृंखला के तहत तैयार किया गया यह पहला उपग्रह था।

इस सैटेलाइट का नाम आईआरएनएसएस-1 एच था, जिसको बनाने में 6 प्राइवेट कंपनियों के ग्रुप का 25 फीसदी योगदान रहा। 1,425 किलोग्राम वजन के इस सैटेलाइट को श्रीहरिकोटा रॉकेट केंद्र से पीएसएलवी-सी 39 रॉकेट की मदद से छोड़ा गया। इसको बनाने में 1,420 करोड़ रुपये की लागत आई।

सैटेलाइट प्रक्षेपण के फेल होने पर इसरो चैयरमैन किरण कुमार ने कहा कि हमारे पास अब एक समस्या है और हम इसका गहन विश्लेषण करेंगे। कुमार ने कहा कि सैटेलाइट अंदर से तो अलग हो गया था, लेकिन यह हीट शील्ड के भीतर फंसा रह गया, जबकि प्रक्षेपण अपने चौथे चरण में था। इसकी वजह से मिशन नाकामयाब रहा।

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