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इनके आगे दुनिया बौनी….

वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में भारतीय एथेलीट्स ने 37 मेडल जीते

अक्सर हम ऐसे लोगों को देखते है जिन्हे प्रकृति ने कद में छोटा बनाया है। कुछ लोग ऐसे छोटे कद वालों पर हस्ते है तो कुछ उन्हे सिर्फ सर्कस तक सीमित रखना चाहते है। हाल ही में हुए वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स के नतीजों ने ऐसे लोगों की सोच को बदलने पर मजबूर कर दिया है।

 हाल ही में कनाडा में हुए 7वें वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में जहां दुनियाभर के 27 देशों में से 400 एथेलीटो ने भाग लिया। वहीँ भारत की तरफ से 21 एथेलीटो का दल इस गेम में प्रतिभागित हुआ था। इन भारतीय एथेलीटो ने 15 गोल्ड सहित 37 मेडल देश के नाम किए।

बता दें, कि ओलंपिक्स में भारत ने अब तक 9 गोल्ड सहित सिर्फ 28 मेडल जीते है, वहीँ पैरालिंपिक्स में एथेलीट्स ने 5 गोल्ड सहित कुल 12 मेडल जीते है। यह तुलना इसीलिए क्यूंकि हम आपको बताना चाहते है कि जिस तरह से ओलंपिक्स में दुनियाभर के दिग्गज एथेलीट्स भाग लेते है ठीक उसी तरह वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में भी दुनियाभर के एथेलीट्स भाग लेते है।

हम भी है विश्व में आगे-

वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स में भारत के 21 एथेलीटो का दल गया था। इस दल की एक एथेलीट नलिनी सिंह हरियाणा की रहने वाली है। उन्होंने इस गेम में 1 गोल्ड सहित 5 मैडल जीते है वह बताती है, कि ‘हमारे लिए मेडल जीतना इतना आसन नहीं होता। जिस तरह से ओलंपिक्स में एथेलीटो को मेहनत करनी पड़ती है ठीक उसी तरह हमें भी कड़ी मेहनत के बाद जीत का मकाम हासिल होता है।’

वे आगे कहती है, कि अच्छा लगता है जब जीत के बाद हमारे देश का राष्ट्रगीत बजाया जाता है और तिरंगा फेहराया जाता है।

जाना पड़ा अपने दम पर-

वर्ल्ड ड्वार्फ गेम्स के एथेलीटस बताते है कि सरकार ने उन्हे कनाडा भेजने के लिए न तो कोई बंदोबस्त किया न ही उनकी आर्थिक मदद की। इन सभी एथेलीटो में किसी ने अपनी जमीन को गिरवीं रखा तो किसी ने घर के जेवर, कंघन बेचे।

सरकार से निराशा-

भारत की तरफ से गए कोच और मैनेजर पूर्व पैराएथेलिएट ‘शिवानन्द गुंजाल’ बताते है कि मैं कर्नाटक से हूँ और कई मेडलिस्ट कर्नाटक से है। हमें लगा था कि हम जब स्वदेश वापस लौटेंगें तो सरकार हमारा स्वागत करेंगी पर स्वागत तो दूर उन्होनें हमारी प्रशंसा तक नहीं की’पर हमें उम्मीद है कि सरकार एक दिन ओलंपिक्स की तरह इस गेम को भी तरजीह देंगी।  

क्यूँ सोई है सरकार-

मेहनत वही, लगन वही फिर सरकार इस मुद्दे पर चुप्पी क्यों साधे हुई है? अक्सर यह कहा जाता है कि सरकार खेल को बढ़ावा दे रही है लोगों में खेल के प्रति रूचि जगाने को लेकर प्रयासरत है, लेकिन फिर ऐसे किस्सों को सुनकर लगता है कि शायद सरकार अब तक खेल के प्रति गंभीर नहीं हुई है।

 

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