प्रदेश

हिमाचल सरकार का नीति आयोग पर फंड कटौती का आरोप

शिमला | नीति आयोग ने शुक्रवार को हिमाचल प्रदेश सरकार से किसानों की आय अगले पांच साल में दोगुना करने के लिए योजना तैयार करने को कहा, जबकि वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली राज्य सरकार ने इस थिंक टैंक पर राज्य को केंद्र से मिलनेवाले फंड में भारी कटौती करने का आरोप लगाया है। नीति आयोग के सदस्य रमेश चंद्र ने राज्य के वरिष्ठ मंत्रियों और अधिकारियों के साथ हुई बैठक में कहा कि किसानों की आय बढ़ाने पर हमारा मुख्य जोर है।

उन्होंने कहा कि नीति आयोग के गठन के समय से इसका जोर सिर्फ धन का आवंटन ही नहीं, बल्कि राज्यों को रणनीतिक मुद्दों पर सलाह देना भी रहा है। चंद ने कहा, “राज्य की कृषि, विनिर्माण, बाजार में सुधार और सिंचाई में मंदी देखी गई है और इनमें सुधार करने की जरूरत है।” उन्होंने कहा कि हालांकि, अन्य क्षेत्रों में राज्य बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।

कृषि मंत्री सुजन सिंह पठानिया ने किसानों के लिए आय सहायता प्रणाली शुरू करने की वकालत की। उन्होंने फसल बीमा योजना के तहत ट्राउट मछली पालन शुरू करने की मांग की। केन्द्रीय वित्तपोषण के बारे में चिंता व्यक्त करते हुए, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री कौल सिंह ने कहा कि नीति आयोग के गठन से पहले राज्य 90:10 के अनुपात में केन्द्रीय सहायता प्राप्त करता था और इसे विशेष श्रेणी के पहाड़ी राज्य का दर्जा प्राप्त था।

उन्होंने कहा, “लेकिन नीति आयोग के गठन के बाद राज्य के लिए केंद्र-प्रायोजित योजनाओं में वित्त आवंटन काफी कम हो गया है और विशेष औद्योगिक पैकेज को रोक दिया गया है।” मंत्री ने कहा कि प्रधान मंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत विभिन्न योजनाओं को मंजूरी के लिए केंद्र सरकार को भेजा गया है, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई जवाब नहीं मिला है।

सिंह ने नीति आयोग से यह अनुरोध किया कि 250 से कम जनसंख्या वाले गांवों को ग्रामीण विकास मंत्रालय की प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत लाया जाए, ताकि वहां सड़क संपर्क सुनिश्चित किया जा सके।

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